सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर 30, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इस साल में, is saal me, New_Year

New_Year नया साल ना जाने कितनी ही बार आता है और चला जाता है।  सबको फिकर है अपनी- अपनी इस एक साल में न जाने  कितने ही अरमान बने और बिखरे, किसी ने तरक्की की, तो कोई वहीं का वहीं कुछ नाम कमा गए तो कुछ नाम मिटा गए किसी ने ठहराव कर लिया तो कोई काफिर बन गया किसी का दिल टूटा तो किसी को प्यार मिला न जाने कितने ही किस्से  इस साल के काग़ज में भर दिए और एक नया काग़ज लेकर  हाज़िर है सभी लिखने को अपनी दास्तां कुछ सपने जो देखे हैं  शायद पूरा हो जाएं इस साल में कुछ तस्वीर जो बना रखी है  शायद रंग भर पाएं इस साल में वो शहर जो धुंधला सा है शायद उजाला हो जाएं इस साल में दिलों की नाराजगी  शायद दूर हो जाएं इस साल में कहीं किसी को खुदा भी  मिल जाएं इस साल में खुशी का माहौल है तो उदासी क्यूं कुछ हो ना जिंदगी में पर बेतहाशा जी जाएं हम  इस साल में Happy new year all of you New_Year

New year poem /नए साल की कविता

थोड़ी सी जिंदगी जी ली है मैने इसलिए थोड़ी ज्यादा पी ली है मैने मेरे आदाब में शरिक ना हो  इसलिए तुझे भूला दिया मैने कुछ छोटी तो कुछ बड़ी कहानियां लिख ली है मैने मगर कुछ किस्से छुपा भी लिए मैने तुम्हारी यादों को मिटाकर नयी यादें जोड़ ली मैने शहर भी पुराना छोड़  नया बसा लिया मैने  वक़्त भी  बीत चुका वो अब,  मगर कुछ लम्हे चुरा लिए मैने पिछले समय को भूलाकर नए दौर मे शामिल होने को हूं अब, कुछ नए  वादे जोड़ने को तो कुछ पुराने वादे तोड़ने को हूं अब कुछ समय बाद आगाज होगा  एक नए कल का  बस उसी के इंतज़ार मै हूं अब