Mere desh ke naam khat देश कहूं, मुल्क कहूं या कहूं वतन तुझे, परिवार कहूं , माँ कहूं, या कहूं जान तुझे, तू सब मे है या सब तुझ में l ना तू जुदा है इंसान से, ना इंसान जुदा है तुझ से l है नाम माटी मगर माटी हैं सबका तोहफा मेरे देश की माटी मे ही लिखा है इत्लाफ़ होना l हो जाऊं निसार फक्र हैं मुझे हो जाऊं खाक गर्व हैं मुझे l सीने में दर्द है बहुत , वतन के ख़ातिर दुश्मनों को दे आऊ l ना कभी हारूँगा, पीछे हटाऊंगा, जान हथेली पर लेकर चलता जाऊंगा l हारकर भी जीत का जशन मनाऊंगा, ताकि खुद को कर बुलंद गिर्दाब लाऊंगा l अपना सिर झुकाकर भी तेरा वजूद बनाये रखूँगा l वतन के ख़ातिर मरकर भी अमर कहलाऊंगा l कर देना हुक्म ए माटी, अपने खून के रंग से रंग जाऊंगा l जब आएगी होली तो अपने लहू के लाल रंग से रंग लगाऊंगा तुझे l आएगी दिवाली तो बंदूक की नोक तले रकीब संग मनाऊंगा l नहीं है मेरा कोई तेरे सिवा, ए - मेरे - वतन, ए - मेरे - वतन l मेरी सुबह तुम से, रात भी तुम्हीं से, दिन का हर पहर तुम से l सुकून मिलता है, मु...
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