सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर 16, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Gazal

कहा था मेने तुमसे एक दिन, मुझे यू तन्हा न कर जाओ । लेकिन तुमने एक न सुनी मेरी, आज इतने बरसो बाद तुम तन्हा हुए, मेरी याद आ गई तुमको l तू अब कितनी भी कोशिश कर ले, मैं वो पहले वाला मोम का पुतला न रहा,  जो तुम्हारी बातो की गर्मी से पिघल जाया करता था l तुम्हारे जाने के बाद मेने कर लिया जमीर को  झोलीदा, प्यार मोहब्बत को भी पीछे छोड़ आया l नहीं लोटूंगा में अब तुम्हारे पास कभी चाहे तो मर जाए तू अभी  l रोया तो बहुत था तुम्हारे जाने के बाद, लेकिन अब हसुंगा भी बहुत l तुम थे खुश किसी के आने पर बहुत, पर में खुश हू तेरे जाने पर बहुत  l था तू कभी मेरा जुनून, मेरा सरमाया, पर अब नहीं पड़ने दूंगा तेरा साया  l

Alfaz /अल्फाज़...

Alfaz वो नोकरीपेसा क्या हो गए ,बातो को  उनकी तरस गए हम  l ,महफिल होती है रोज उनके महलों में , कोई आता है कोई जाता है खिदमत में  l लोगो को  बहाना मिल गया , हम जेसे को सुनाने का l हम रह गए वही के वही ,और वो मुकाम कायम कर गए l जिनके पहलू में थे कभी ,आज नाम भी  भूल गए  l अब तो जाते हैं जहाँ उन्ही के चरचे होते हैं दोस्त हमारे ,महफिल हमारी ,और बाते उनकी होती है l सामने जाते ही हम तो तोबा तोबा .... 😀 😀 😀 😀 नज़रे झुका लेते हैं कही अवारा समझ किस्से ना बना दे लोगो मे, कि वो हमे  परेशान करते हैं 😏😏😏

Dard

कहा था मेने तुमसे एक दिन, मुझे यू तन्हा न कर जाओ । लेकिन तुमने एक न सुनी मेरी, आज इतने बरसो बाद तुम तन्हा हुए, मेरी याद आ गई तुमको l तू अब कितनी भी कोशिश कर ले, मैं वो पहले वाला मोम का पुतला न रहा,  जो तुम्हारी बातो की गर्मी से पिघल जाया करता था l तुम्हारे जाने के बाद मेने कर लिया जमीर को  झोलीदा, प्यार मोहब्बत को भी पीछे छोड़ आया l नहीं लोटूंगा में अब तुम्हारे पास कभी चाहे तो मर जाए तू अभी  l रोया तो बहुत था तुम्हारे जाने के बाद, लेकिन अब हसुंगा भी बहुत l तुम थे खुश किसी के आने पर बहुत, पर में खुश हू तेरे जाने पर बहुत  l था तू कभी मेरा जुनून, मेरा सरमाया, पर अब नहीं पड़ने दूंगा तेरा साया  l

Alfaz /अल्फाज़

Alfaz..  कोई मुझे मजार कहे , कोई कहे खुदा कोई कहे पत्थर तो कोई कहे देवता  l मगर मे खुद भूल चुका कि मे कोन हू  l मे एक मिट्ठी का पुतला था, जिसमे एक रूह बस्ती थी, जब उसने साथ छोड़ दिया, तो सभी ने साथ छोड़ दिया l  दूर हो गए सब मुझ से , ये कहकर कि ये तो एक लाश/मुर्दा है, l लाकर दफन कर दिया मुझे इस माटी की गोद में, जहा मेरे सारे सपने चूर चूर हो गए l जो मुझे अपना अपना कहकर थकते नहीं थे, उन्ही लोगो ने मिट्ठी की तह में छुपा दिया मुझे l चले गए सब मुझे अकेला छोड़कर उस सुनसान कब्र में जहा मेरे शरीर का कण कण होने को हैं l मे भी कितने सुकून से सोया वहां पर, जहा न कोई अपना न कोई पराया, ना डर ना चिंता, ना सुख ना दुख l  मेरी रूह भी अब तो..... किसी और का अस्तित्व बनाने को मशरूफ थी