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दिसंबर 23, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नया साल /new year

बीते बरस से बिल्कुल अलग रहना चाहता हूं।  न जाने कितने लोगो को रुसवा किया, इस साल सबको खुश रखना चाहता हूं। कितनी कमियां हैं मुझ में, वो सब बदलना चाहता हूं। न जाने कितनी दफ़ा अपनो को ठुकराकर,  बेगानों को गले लगाया। दूसरों को बदलने की कोशिश मैं, खुद को ही बदल लिया। कामयाबी को ढूंढने निकला था,  पर कामयाबी वही बसी थी जहां से मैं चला था। भूल चुका था में जहां प्यार होता है, वहीं खुशियों का बसेरा होता है।  बस उसी की खातिर वापस  लौट जाना चाहता हूं मैं। इस साल पुराना किस्सा  दोहराना नहीं चाहता मैं। बस सबको खुश देखना चाहता हूं मैं।

Dard kyu chupate ho

निगाहे रोज मिलाती हो,  मगर बात करने से घबराती हो। सीने में दिल है तुम्हारे भी  रोज इशारों से बता जाते हो। कहीं मुझसे मोहब्बत  ना हो जाएं  इसलिए चुपके से निकल जाते हो मगर महक अपने होने की भी दे जाते हो। किसी ना किसी बहाने से  दीदार करने चले आते हो मगर सामना हो जाएं मेरा  तो नज़रे चुरा लेते हो वक़्त की खामोशी कुछ बयां करती है, मगर तुम्हारी खामोशी कुछ और। बताओ ना.......  हमसे दर्द क्यूं छुपाते हो।

Gazal गज़ल

तलब ऎसी की कोसो दूर चले जाए  चाय पीने को यूं घर से हम निकल जाए औरों के लिए एक कप चाय ही तो है मगर हमारे लिए जीने की एक आस है अधूरी बातें भी आराम नहीं देती कभी  दिल करता है अभी सारी बातें कर लु मगर इन्तज़ार भी अच्छा है  ताकि दिल की कसक बढ़ती रहे आज किसी अजनबी से बात की  अच्छा लगा  मगर बातें अधूरी रह गयी मौसम रोज बदलता है मेरे शहर में  तुम्हारे आशिकों की तरह,  तुम जो कर रहे हो वो करके  छोड़ दिया जमाने में। सब उलझे हुए हैं  किसी ना किसी सवालो में  मगर साथ रहकर  कोई हल नहीं करना चाहता तारीख देते हैं रोज वो हमको  बात करने के लिए  जैसे कोई मुजरिम हो गये हम... तेरी आदत आज भी वही है  किसी और से प्यार करना  और साबित किसी और को करना जवाब देना मुस्किल हो गया उसका  जब किसी और का sms  forward करने से पहले  नीचे लिखा नाम मिटाना भूल गया जब भी उस बेवफा सनम की याद आती है,  एक ख़त उसका जला लेता हूँ।  ताकि उसकी चिंगारी से ...

Alfaz

खुश नसीब है वो की  हमसे उसकी मुलाकात ना हुई ,  वरना बहुत अफसोस होता उनको  की कौन इंसान से मोहब्बत कर ली,  जो हर बार दिल तोड़ देता है मेरी खामोशी मेरी उदासी हर कहानी बयां कर जाती है। देख कर दूर से ही, खबर सबको लग जाती है। करीब नहीं जाते किसी के इतना,  कि अहजा़न उसकी बढ़ जाएं।  इसलिए खुद पर ही इल्ज़ाम लगा लेते हैं यूं ही कभी कभी ख्याल आता है कि  मौसम तो हर रोज बदलता है अपने मिजाज क्यां में भी एक बार बदल कर देखुं मेरा इश्क़ अधूरा सा रह गया, उसने बीच राह में अकेला जो छोड़ दिया।  कमबख्त को खूब प्यार किया मगर वो किसी और का हो गया । उसको तो कोई फरक ना पड़ा  मगर इधर जिंदगी में बहुत फरक पड़ गया श्मशान में आज फिर कोई मेहमान आया, सपनों को अपने दफन करने आया।  पूछो उसको कोई की उसने  क्या ख़ता की, जो रुकसत हो अपनों से यहां चला आया किसी की मोहब्बत को ठुकरा कर अच्छा तो नहीं लगा लेकिन उसको कैसे बताऊँ कि  उसकी ही ख़ातिर ये सब जरूरी था मेरे दिल की मोहब्बत को तो  तू देख सकता है मगर मेरे दिल में जो डर है...