बीते बरस से बिल्कुल अलग रहना चाहता हूं। न जाने कितने लोगो को रुसवा किया, इस साल सबको खुश रखना चाहता हूं। कितनी कमियां हैं मुझ में, वो सब बदलना चाहता हूं। न जाने कितनी दफ़ा अपनो को ठुकराकर, बेगानों को गले लगाया। दूसरों को बदलने की कोशिश मैं, खुद को ही बदल लिया। कामयाबी को ढूंढने निकला था, पर कामयाबी वही बसी थी जहां से मैं चला था। भूल चुका था में जहां प्यार होता है, वहीं खुशियों का बसेरा होता है। बस उसी की खातिर वापस लौट जाना चाहता हूं मैं। इस साल पुराना किस्सा दोहराना नहीं चाहता मैं। बस सबको खुश देखना चाहता हूं मैं।
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