खुश नसीब है वो की
हमसे उसकी मुलाकात ना हुई ,
वरना बहुत अफसोस होता उनको
की कौन इंसान से मोहब्बत कर ली,
जो हर बार दिल तोड़ देता है
मेरी खामोशी मेरी उदासी
हर कहानी बयां कर जाती है।
देख कर दूर से ही,
खबर सबको लग जाती है।
करीब नहीं जाते किसी के इतना,
कि अहजा़न उसकी बढ़ जाएं।
इसलिए खुद पर ही इल्ज़ाम लगा लेते हैं
यूं ही कभी कभी ख्याल आता है कि
मौसम तो हर रोज बदलता है अपने मिजाज
क्यां में भी एक बार बदल कर देखुं
मेरा इश्क़ अधूरा सा रह गया,
उसने बीच राह में अकेला जो छोड़ दिया।
कमबख्त को खूब प्यार किया
मगर वो किसी और का हो गया ।
उसको तो कोई फरक ना पड़ा
मगर इधर जिंदगी में बहुत फरक पड़ गया
श्मशान में आज फिर कोई मेहमान आया,
सपनों को अपने दफन करने आया।
पूछो उसको कोई की उसने क्या ख़ता की,
जो रुकसत हो अपनों से यहां चला आया
किसी की मोहब्बत को ठुकरा कर
अच्छा तो नहीं लगा
लेकिन उसको कैसे बताऊँ कि
उसकी ही ख़ातिर ये सब जरूरी था
मेरे दिल की मोहब्बत को तो
तू देख सकता है
मगर मेरे दिल में जो डर है
वो दिखाई नहीं देता तुझे
जमाना खराब है साहिब
जरा सम्भलकर कदम रखना
वरना आजकल तो लोग
पाँव के नक्श भी उठा ले जाते हैं
एक खिताब मिला था किसी जमाने में
जिसने काफिर बना दिया अब तक
रोज उसको मिटाने की कोशिश करते हैं
ताकि लौट जाएं जमाने में वापस
रंग ना सही तो बेरंग ही जी लेंगे
साथी ना सही अकेले ही जी लेंगे
रोशनी ना सही अंधेरों में जी लेंगे
मगर दगाबाज को आज नहीं तो कल
जीने नहीं देंगे
हमसे उसकी मुलाकात ना हुई ,
वरना बहुत अफसोस होता उनको
की कौन इंसान से मोहब्बत कर ली,
जो हर बार दिल तोड़ देता है
मेरी खामोशी मेरी उदासी
हर कहानी बयां कर जाती है।
देख कर दूर से ही,
खबर सबको लग जाती है।
करीब नहीं जाते किसी के इतना,
कि अहजा़न उसकी बढ़ जाएं।
इसलिए खुद पर ही इल्ज़ाम लगा लेते हैं
यूं ही कभी कभी ख्याल आता है कि
मौसम तो हर रोज बदलता है अपने मिजाज
क्यां में भी एक बार बदल कर देखुं
मेरा इश्क़ अधूरा सा रह गया,
उसने बीच राह में अकेला जो छोड़ दिया।
कमबख्त को खूब प्यार किया
मगर वो किसी और का हो गया ।
उसको तो कोई फरक ना पड़ा
मगर इधर जिंदगी में बहुत फरक पड़ गया
श्मशान में आज फिर कोई मेहमान आया,
सपनों को अपने दफन करने आया।
पूछो उसको कोई की उसने क्या ख़ता की,
जो रुकसत हो अपनों से यहां चला आया
किसी की मोहब्बत को ठुकरा कर
अच्छा तो नहीं लगा
लेकिन उसको कैसे बताऊँ कि
उसकी ही ख़ातिर ये सब जरूरी था
मेरे दिल की मोहब्बत को तो
तू देख सकता है
मगर मेरे दिल में जो डर है
वो दिखाई नहीं देता तुझे
जमाना खराब है साहिब
जरा सम्भलकर कदम रखना
वरना आजकल तो लोग
पाँव के नक्श भी उठा ले जाते हैं
एक खिताब मिला था किसी जमाने में
जिसने काफिर बना दिया अब तक
रोज उसको मिटाने की कोशिश करते हैं
ताकि लौट जाएं जमाने में वापस
रंग ना सही तो बेरंग ही जी लेंगे
साथी ना सही अकेले ही जी लेंगे
रोशनी ना सही अंधेरों में जी लेंगे
मगर दगाबाज को आज नहीं तो कल
जीने नहीं देंगे


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