Safar........
दुनिया कि इस भीड़ में न जाने कितने अजूबे हैै l
एक तो हम हैं, बाकी सारी कायनात हैं ll
यूं तो चलने का मन नहीं करता, मगर अनजानी राहे , भीड़ में ही मिला करती है l
जीने का सलीका यहीं से मुकम्मल हो जाता है l
अगर सफर ना होता मिलो का, तो मे न चलता l
और बन जाता हिस्सा उसी भीड़ का l
वो भीड़ जो नहीं देखती कभी किसी को,
आजमाईश का दौर है..........
जिसमे मयस्सर भी चुरा लिये जाते हैं
निकल भीड़ से इन्तिका ढूँढू कहीं,,,

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