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Talash

     Story....

              **Talash **

आज सुबह से तेज बारिश हो रही थी, सब लोग अपने अपने घरो में बेठे आराम फरमा रहे थे। 

कुछ लोग घर के बाहर बैठकर आते जाते हुए लोगो को देख रहे थे, और बीच बीच में कह रहे थे, देखकर चलना, संभलकर चलना, पानी बहुत भरा हुआ है । 

में भी अपने घर की बालकनी में खड़े होकर सड़क पर झांक रहा था,
चारों तरफ पानी इतना भर गया कि पता ही नहीं चल रहा रास्ता कहा है। 

अचानक मेरी नज़र दूर से आती हुयी एक फैमिली पर पड़ी,
बारिश की वजह से साफ तो नही दिख रहा था, लेकिन चार लोग हाथ में सामान लिए चले आ रहे थे। 

मे अब उनको ही देख रहा था, कि वो लोग इतने पानी में सामान के साथ कैसे जाएंगे। 
कभी उनके कदम लड़खड़ाते, तो कभी अपने सामान को संभालते नज़र आते ।

धीरे - धीरे वो इतने पास आ गये कि मे स्पष्ट रूप से देख सकता था, उनको । 
जब दिखाई दिया तो पाया कि एक परिवार जिसमे पति पत्नी और दो लड़कियां । 

एक की उम्र मेरी जितनी थी शायद, एक उस से छोटी।
उस लड़की को पास से देखा, तो देखता रह गया,
उसने गुलाबी कलर के कपड़े पहन रखे थे,
जो बारिश के कारण उसके बदन से चिपके हुए लग रहे थे। 
उसका रंग गोरा, और आंखें कत्थई जो किसी को एक बार देख देख तो कायल हो जाये । 

उसकी लटों से पानी की बूंदे बरसती हुई उसके चेहरे पर से टपक रही थी । 
उसको देखते ही दिल की धड़कन बढ़ सी गई । 
एक परी जैसे, जो अभी- अभी आसमान से उतरी हो । 

तभी पापा ने मुझे आवाज दी, राहुल यहां आना काम है कुछ । 
मन तो नहीं था, मगर जाना पड़ा । 
पापा ने मुझे कुछ काम दिया और मे उसे जल्दी से खत्म करके बालकनी में दौडता हुआ आया,
आकर देखा तो वहां पर कोई नहीं था , वो लोग शायद चले गये थे । 

मे कुछ देर वही खड़ा रहकर दूर तक देखता रहा, मगर कोई फायदा नहीं हुआ । 
सुबह से शाम हुई और शाम से रात, में रात भर उसी के बारे में सोच - सोच कर बेचैन हो रहा था, जैसे कोई कस्मकस हो । 

उसके ख्यालों मे पता ही नहीं चला कि मैं कब सो गया 
सुबह उठकर वापस उसी बालकनी में जाकर बैठ गया कि कही वो दिख जाएं.... 
लेकिन नहीं  । 

कुछ देर बाद हमारे पड़ोसी शर्मा अंकल ने मुझे आवाज दी, उनकी आवाज से मे समझ गया कि, उनके घर में कोई बाज़ार का काम होगा, क्यू कि बाज़ार का काम अक्सर मुझे ही करने को मिलता था। 

मे बाज़ार नहीं जाना चाहता था, लेकिन उन्होने मुझे देख लिया था, तो मे कही छुप भी नहीं सकता था । 

में बेमन से उनके पास गया, जाते ही मेने देखा कि जिनको मैं कल से ढुंढ रहा था, वो तो उनके घर में थे
उन्होने मेरा परिचय उन लोगो से करवाया । 

शर्मा अंकल ने कहा कि ये राहुल है, पड़ोस में रहता है, ये आपकी बाज़ार से सामान लाने मे मदद कर देगा। 
मुझे कुछ समझ आता उस से पहले उन लोगो ने मुझे कुछ रुपए और सामान की लिस्ट थमा दी,
और अंदर जाकर बैग ले जाने को कहा । 

मे अंदर जा रहा था और उन आंखों को ढुंढ रहा था, जिन्होने रात भर मुझे बेचैन किया । 
मे जैसे ही अंदर गया, वही लड़की लाल रंगो के लिबाज़ से मेरे सामने खड़ी थी, 
जेसे में कोई सपना देख रहा था  । 

उसको देखते ही में वहीं का वही खड़ा रह गया । 
उसने मेरे करीब आकर कहा कि, तुम किसी को ढूंढ रहे हो, मेरे मुंह से कुछ ना निकला, बस आश्चर्य से उसी को देख रहा था ।  और सोच रहा था कि इसको कैसे पता चला  । 
उसने फिर कहा कि मेरा नाम जोया है, हम यहां के नये किरायेदार है, कल ही आये हैं  । 
और मेरे हाथ में बैग देकर मुस्कुराते हुये चली गयी । 

जाते जाते पलटकर उसने कहा कि तुम्हारा नाम राहुल है ना, 
मे भी उसकी हां मे हां मिलाकर आश्चर्य भरी नज़रों से उसको देखता ही रह गया ।

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