Wo tuta makan ...
जमाना बदला, तू बदला, मे बदला,
मगर वो गलियां ना बदली,
जहां कभी रोशन होते थे आशिकों के ख्वाब....
वो टूटा टूटा सा, बारीश के पानी से झरता हुआ ,
मकान आज भी जिंदा है, इन हालातों में...
उसको देखने भर से वो यादे जहांन मे बिखर जाती है आज भी..
यही पर हासिल होते थे प्यार के नज़राने, जिसकी एक छवि उस मकान ने अपने सीने में दबा रखी है।
जब भी कोई वापस आता होगा तो देखकर मुस्कुराता होगा।
और खो जाता होगा अपने अतीत के सागर में,...
जो अब कुछ धूंधला - धूंधला सा नजर आता होगा ।
और आ भी जाए तो किसी और के डर से याद नहीं करना चाहता ।
बस देख कर ही रह जाते हैं सब...... ।
अब वो मकान सुना - सुना सा है,
इंतज़ार में है
,कि गिरने से पहले फिर से कोई आए
और मोहब्बत का चिराग जला जाये ।

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