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  जो ना रुका कभी, जो ना झुका कभी  मन में प्रण लेकर देश बदलने चला था कभी। खुद की ना कोई पहचान, धूल में सना एक दलित इंसान महसूस कर देश की पीड़ा, सर पर बांध जुनून का सेहरा।  चलता गया, बढ़ता गया, कर लक्ष्य संधान छुआछूत जातिवाद से बदतर था जब समाज। मुक्त कर सभी आडम्बर को बनाया एक खुशहाल इंसान राजनेता, शिल्पकार, समाज-सुधारक बनकर।  दिला गया देश को एक अलग पहचान संविधान निर्माता बनकर भारत रत्न सम्मान है पाया। गुलामी से जकडे़ लोगों को आजादी का जश्न दिलाया नाम है जिनका बाबा साहब, जिनका परचम राष्ट्र में लहराया।  यूं तो कई सदियों में एक ऐसे  महानायक का जन्म होता है जिसकी छवि को युगों युगों तक याद किया जाता है।  उनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता का कल्याण किया जाता है।  ऐसे ही महापुरुष बाबा साहब, जिनका स्मरण आज हम आदर के साथ कर रहे हैं।  उनके जैसा तो आज हम बन नहीं सकते।  मगर कोशिश करे कि उनके विचारों के माध्यम से मानव द्वारा मानवता का कल्याण हो,  बाबा साहब ही एक मात्र ऐसे इंसान थे जिन्होंने युगों से शापित मनुष्यों को वरदान मे बदल दिया,  जिन्होंने...
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मेरी मोहब्बत /meri mohabhat

जब कभी तुम्हारी नजरें मुझसे बिछड़ जाए, तो ग़म ना करना, एक तस्वीर मेरी, किताबों में छुपाकर रखना। रोने का मन हो कभी तुम्हारा तो मेरा रुमाल अपनी पलकों पे रख लेना तन्हाइयों का पहरा जब, हर पल तुमको सताने लगे,  तो खुले आसमान तले, मेरी शरारतों को याद करके थोड़ा मुस्करा लेना। जब लगे तुमको कभी किसी की जरूरत तो बेशक अपने अतीत को भुलाकर, आने वाले कल की सोच लेना। नजरें ना मिला सको जब किसी अजनबी से तो होठों पर अपने मुस्कराहट बरकरार रखना। पुराने किस्सों को भुलाकर नयी कहानी ईजाद जरूर करना। हम तुमको मिलेंगे बेशक किसी ना किसी मोड़ पर मगर एतबार हमारा बिल्कुल ना करना न जाने आज की तरह, कल भी ये हादसा हो जाये। मोहब्बत होकर भी दिल टूट जाए। अब तो ख्वाहिश तुमसे इतनी सी है मेरी मोहब्बत को भुलाकर मुझे बदनाम मत करना,  मेरा जिक्र कभी अपने लबों से ना करके बस दुआ मे याद रखना।

Mohabhat ka manjar /मोहब्बत का मंजर

भूल जा उन आंखो को जिसमे कभी प्यार था तुम्हारे लिए,  क्यूं खुद को तबाह कर रहा  उस फरेब दिल के लिए,  नज़राना देखकर इश्क़ मेहरबान होता था जिसका, उसी कातिल को क्यूं हमसफ़र बना रहा अपना छोड़ इस दिल के मिजाज को क्यूं आदत उसकी लगाता है छोड़ इस बेपरवाह सफर को जो पिघल जाता उसकी एक मुस्कुराहट को क्या मोहब्बत का वो कहर अपनी बर्बादी का वो मंजर फिर से देखना चाहता है

इंतज़ार /intzar

इंतज़ार..  बैठे हैं कब से उसके तस्सवुर में आंखे बिछाएं कब तलक आएगी वो अपना दामन उठाये उसकी नज़रों से जो मुक्कमल हो जाये तड़पती रूह को सुकून सा मिल जाये जब वो आए तो कोई ना हो इस शामियाने में बस चाँद तारे ही चमकते रहे आसमानो में और क्या सुनाऊं किस्सा - ए - मोहब्बत का जब वो आए तो ये पल थम सा जाये मोहब्बत का आगाज हर तरफ हो जाये अब तो ख्वाहिश है कि  हर रोज ये मंजर आये उसके दीदार से ही ये नज़रे सुकून पाये  मुकम्मल हो मेरी ये दुआ खुदा भी उसको छोड़ जाये।

Ishq is इश्क़

इश्क़ ishq कोई नहीं ऎसा जो मोहब्बत ताउम्र करे, कभी न कभी तो दिल बहक जाता है किसी न किसी से। बंधन को ठुकराकर आजादी चाहता है इश्क़, मगर एक नहीं हज़ारों पाना चाहता है इश्क़। गुनाह है, ख़ता है, लापरवाह है इश्क़, फिर क्यूं बार- बार दोहराना चाहता है इश्क़। आंखों में रोशनी के सपने लिये चलना चाहता है  इश्क़, फिर भी बार बार अंधेरों के सामने  हार जाता है इश्क़। बेबस, लाचार, मजबूर है इश्क़, मगर हुस्न के आगे परेशान हैं इश्क़। सब खुश हो जाते हैं पाकर ये इश्क़, जन्नत तो नहीं जहन्नुम होता ये इश्क़। किसी की हां से शुरू होता ये इश्क़, और दिल टूट जाने से बिखर जाता ये इश्क़। न जाने कितनी कुर्बानी देनी पड़ती है इश्क़ में, फिर भी आखि़र में टूट जाता है इश्क़। फितूर है इश्क़, बेबस है इश्क़, मौत का मंजर है इश्क़, हालात है इश्क़

कुछ बेहिसाब सी है मेरी मोहब्बत /Romantic_poetry

Romantic_poetry कुछ बेहिसाब सी है मेरी मोहब्बत कभी कभी कम हो जाती है तो कभी बढ़ जाया करती है। कभी - कभी इतना गुस्सा आता है कि छोड़ दु तुझे तो कभी कभी इतना प्यार की खो ना दु तुझे। कभी वो रूठना तेरा कभी वो मनाना मेरा। थक जाता हूँ कभी कभी तो कभी उमंग से भर जाता हूँ। कभी रुला भी देता हूं, तो कभी रो भी लेता हूँ। जमाने में बदनाम भी कर देता हूँ कभी - कभी तो कभी खुद भी बदनाम हो जाता हूँ। तेरा बार बार फोन करना ,  तो कभी तेरा फोन न करना।  परेशान कर देता है मुझको, फिर भी बात कर ही लेता हूँ। कभी कभी मिल लेता हूँ तो  कभी पास होते हुए भी दूर चला जाता हूँ। कभी कभी तुझे देखने के बहाने ढुंढ़ता हूँ तो कभी ना देखने के। फिर भी मोहब्बत तुम से ही करता हूं।  Romantic_poetry

Makar sankranti /मकर संक्रांति

मकर संक्रांति /makar sankranti makar sankranti poetry in hindi यूं तो मौसम हर दिन सुहाना होता है मगर मकर संक्रांति के  मौसम की तो बात ही निराली है।  रात रात भर जागकर  पतंगो को तैयार करना।  कड़ाके की ठंड में  सुबह जल्दी उठना।   छत पर जाकर आसमान की तरफ देखना।  शोर शराबे से मौहल्ले वालों को जगाना।  ये जगाना नहीं, बल्कि सबको बताना  कि मे सबसे पहले उठ गया।  सुबह ओस की बूँदो में  पतंग उड़ाना जो कभी नहीं उड़ती थी  फिर रुककर इंतज़ार करना  मौसम साफ होने का।  आसपास के दोस्तो को मांझे के बारे में पूछना  सब याद है आज भी।  यू दिन भर पतंग उड़ाना,  शोर करना,  गानों की मस्ती पे झूमना।  चारों और रंग बिरंगा आसमान  पतंग उड़ाने से ज्यादा  पतंग लूटने का मजा।  कटी पतंग को देख उसकी डोर को ढुंढना  और खाने की क्या बात करे  कितना कुछ दिन भर  पतंग के पेच के साथ साथ  आंखों के पेच लड़ाना  ...

इस साल में, is saal me, New_Year

New_Year नया साल ना जाने कितनी ही बार आता है और चला जाता है।  सबको फिकर है अपनी- अपनी इस एक साल में न जाने  कितने ही अरमान बने और बिखरे, किसी ने तरक्की की, तो कोई वहीं का वहीं कुछ नाम कमा गए तो कुछ नाम मिटा गए किसी ने ठहराव कर लिया तो कोई काफिर बन गया किसी का दिल टूटा तो किसी को प्यार मिला न जाने कितने ही किस्से  इस साल के काग़ज में भर दिए और एक नया काग़ज लेकर  हाज़िर है सभी लिखने को अपनी दास्तां कुछ सपने जो देखे हैं  शायद पूरा हो जाएं इस साल में कुछ तस्वीर जो बना रखी है  शायद रंग भर पाएं इस साल में वो शहर जो धुंधला सा है शायद उजाला हो जाएं इस साल में दिलों की नाराजगी  शायद दूर हो जाएं इस साल में कहीं किसी को खुदा भी  मिल जाएं इस साल में खुशी का माहौल है तो उदासी क्यूं कुछ हो ना जिंदगी में पर बेतहाशा जी जाएं हम  इस साल में Happy new year all of you New_Year

New year poem /नए साल की कविता

थोड़ी सी जिंदगी जी ली है मैने इसलिए थोड़ी ज्यादा पी ली है मैने मेरे आदाब में शरिक ना हो  इसलिए तुझे भूला दिया मैने कुछ छोटी तो कुछ बड़ी कहानियां लिख ली है मैने मगर कुछ किस्से छुपा भी लिए मैने तुम्हारी यादों को मिटाकर नयी यादें जोड़ ली मैने शहर भी पुराना छोड़  नया बसा लिया मैने  वक़्त भी  बीत चुका वो अब,  मगर कुछ लम्हे चुरा लिए मैने पिछले समय को भूलाकर नए दौर मे शामिल होने को हूं अब, कुछ नए  वादे जोड़ने को तो कुछ पुराने वादे तोड़ने को हूं अब कुछ समय बाद आगाज होगा  एक नए कल का  बस उसी के इंतज़ार मै हूं अब

नया साल /new year

बीते बरस से बिल्कुल अलग रहना चाहता हूं।  न जाने कितने लोगो को रुसवा किया, इस साल सबको खुश रखना चाहता हूं। कितनी कमियां हैं मुझ में, वो सब बदलना चाहता हूं। न जाने कितनी दफ़ा अपनो को ठुकराकर,  बेगानों को गले लगाया। दूसरों को बदलने की कोशिश मैं, खुद को ही बदल लिया। कामयाबी को ढूंढने निकला था,  पर कामयाबी वही बसी थी जहां से मैं चला था। भूल चुका था में जहां प्यार होता है, वहीं खुशियों का बसेरा होता है।  बस उसी की खातिर वापस  लौट जाना चाहता हूं मैं। इस साल पुराना किस्सा  दोहराना नहीं चाहता मैं। बस सबको खुश देखना चाहता हूं मैं।

Dard kyu chupate ho

निगाहे रोज मिलाती हो,  मगर बात करने से घबराती हो। सीने में दिल है तुम्हारे भी  रोज इशारों से बता जाते हो। कहीं मुझसे मोहब्बत  ना हो जाएं  इसलिए चुपके से निकल जाते हो मगर महक अपने होने की भी दे जाते हो। किसी ना किसी बहाने से  दीदार करने चले आते हो मगर सामना हो जाएं मेरा  तो नज़रे चुरा लेते हो वक़्त की खामोशी कुछ बयां करती है, मगर तुम्हारी खामोशी कुछ और। बताओ ना.......  हमसे दर्द क्यूं छुपाते हो।

Gazal गज़ल

तलब ऎसी की कोसो दूर चले जाए  चाय पीने को यूं घर से हम निकल जाए औरों के लिए एक कप चाय ही तो है मगर हमारे लिए जीने की एक आस है अधूरी बातें भी आराम नहीं देती कभी  दिल करता है अभी सारी बातें कर लु मगर इन्तज़ार भी अच्छा है  ताकि दिल की कसक बढ़ती रहे आज किसी अजनबी से बात की  अच्छा लगा  मगर बातें अधूरी रह गयी मौसम रोज बदलता है मेरे शहर में  तुम्हारे आशिकों की तरह,  तुम जो कर रहे हो वो करके  छोड़ दिया जमाने में। सब उलझे हुए हैं  किसी ना किसी सवालो में  मगर साथ रहकर  कोई हल नहीं करना चाहता तारीख देते हैं रोज वो हमको  बात करने के लिए  जैसे कोई मुजरिम हो गये हम... तेरी आदत आज भी वही है  किसी और से प्यार करना  और साबित किसी और को करना जवाब देना मुस्किल हो गया उसका  जब किसी और का sms  forward करने से पहले  नीचे लिखा नाम मिटाना भूल गया जब भी उस बेवफा सनम की याद आती है,  एक ख़त उसका जला लेता हूँ।  ताकि उसकी चिंगारी से ...