मकर संक्रांति /makar sankranti
makar sankranti poetry in hindi
यूं तो मौसम हर दिन सुहाना होता है
मगर मकर संक्रांति के
मौसम की तो बात ही निराली है।
रात रात भर जागकर
पतंगो को तैयार करना।
कड़ाके की ठंड में
सुबह जल्दी उठना।
छत पर जाकर आसमान की तरफ देखना।
शोर शराबे से मौहल्ले वालों को जगाना।
ये जगाना नहीं, बल्कि सबको बताना
सुबह ओस की बूँदो में
पतंग उड़ाना जो कभी नहीं उड़ती थी
फिर रुककर इंतज़ार करना
मौसम साफ होने का।
आसपास के दोस्तो को
मांझे के बारे में पूछना
सब याद है आज भी।
यू दिन भर पतंग उड़ाना,
शोर करना,
चारों और रंग बिरंगा आसमान
पतंग उड़ाने से ज्यादा
पतंग लूटने का मजा।
कटी पतंग को देख उसकी डोर को ढुंढना
और खाने की क्या बात करे
कितना कुछ दिन भर
पतंग के पेच के साथ साथ
आंखों के पेच लड़ाना
किसी लड़की को देख
उसकी और पतंग झुकाना
शाम होते ही जगमगाता आसमान,
रोशनी से सजा पतंग
हाथों मे लेकर छोड़ना।
कितनी उमंग और उल्लास के साथ




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