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जो ना रुका कभी, जो ना झुका कभी 

मन में प्रण लेकर देश बदलने चला था कभी।

खुद की ना कोई पहचान, धूल में सना एक दलित इंसान

महसूस कर देश की पीड़ा, सर पर बांध जुनून का सेहरा। 

चलता गया, बढ़ता गया, कर लक्ष्य संधान

छुआछूत जातिवाद से बदतर था जब समाज।

मुक्त कर सभी आडम्बर को बनाया एक खुशहाल इंसान

राजनेता, शिल्पकार, समाज-सुधारक बनकर। 

दिला गया देश को एक अलग पहचान

संविधान निर्माता बनकर भारत रत्न सम्मान है पाया।

गुलामी से जकडे़ लोगों को आजादी का जश्न दिलाया

नाम है जिनका बाबा साहब, जिनका परचम राष्ट्र में लहराया। 



यूं तो कई सदियों में एक ऐसे  महानायक का जन्म होता है जिसकी छवि को युगों युगों तक याद किया जाता है। 

उनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता का कल्याण किया जाता है। 

ऐसे ही महापुरुष बाबा साहब, जिनका स्मरण आज हम आदर के साथ कर रहे हैं। 


उनके जैसा तो आज हम बन नहीं सकते। 

मगर कोशिश करे कि उनके विचारों के माध्यम से मानव द्वारा मानवता का कल्याण हो, 

बाबा साहब ही एक मात्र ऐसे इंसान थे जिन्होंने युगों से शापित मनुष्यों को वरदान मे बदल दिया,

 जिन्होंने निरन्तर संघर्ष कर दलित समाज को समानता का अधिकार दिलाया                        

                                            

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