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जनवरी 6, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुछ बेहिसाब सी है मेरी मोहब्बत /Romantic_poetry

Romantic_poetry कुछ बेहिसाब सी है मेरी मोहब्बत कभी कभी कम हो जाती है तो कभी बढ़ जाया करती है। कभी - कभी इतना गुस्सा आता है कि छोड़ दु तुझे तो कभी कभी इतना प्यार की खो ना दु तुझे। कभी वो रूठना तेरा कभी वो मनाना मेरा। थक जाता हूँ कभी कभी तो कभी उमंग से भर जाता हूँ। कभी रुला भी देता हूं, तो कभी रो भी लेता हूँ। जमाने में बदनाम भी कर देता हूँ कभी - कभी तो कभी खुद भी बदनाम हो जाता हूँ। तेरा बार बार फोन करना ,  तो कभी तेरा फोन न करना।  परेशान कर देता है मुझको, फिर भी बात कर ही लेता हूँ। कभी कभी मिल लेता हूँ तो  कभी पास होते हुए भी दूर चला जाता हूँ। कभी कभी तुझे देखने के बहाने ढुंढ़ता हूँ तो कभी ना देखने के। फिर भी मोहब्बत तुम से ही करता हूं।  Romantic_poetry

Makar sankranti /मकर संक्रांति

मकर संक्रांति /makar sankranti makar sankranti poetry in hindi यूं तो मौसम हर दिन सुहाना होता है मगर मकर संक्रांति के  मौसम की तो बात ही निराली है।  रात रात भर जागकर  पतंगो को तैयार करना।  कड़ाके की ठंड में  सुबह जल्दी उठना।   छत पर जाकर आसमान की तरफ देखना।  शोर शराबे से मौहल्ले वालों को जगाना।  ये जगाना नहीं, बल्कि सबको बताना  कि मे सबसे पहले उठ गया।  सुबह ओस की बूँदो में  पतंग उड़ाना जो कभी नहीं उड़ती थी  फिर रुककर इंतज़ार करना  मौसम साफ होने का।  आसपास के दोस्तो को मांझे के बारे में पूछना  सब याद है आज भी।  यू दिन भर पतंग उड़ाना,  शोर करना,  गानों की मस्ती पे झूमना।  चारों और रंग बिरंगा आसमान  पतंग उड़ाने से ज्यादा  पतंग लूटने का मजा।  कटी पतंग को देख उसकी डोर को ढुंढना  और खाने की क्या बात करे  कितना कुछ दिन भर  पतंग के पेच के साथ साथ  आंखों के पेच लड़ाना  ...