Romantic_poetry
कुछ बेहिसाब सी है मेरी मोहब्बत
कभी कभी कम हो जाती हैतो कभी बढ़ जाया करती है।
कभी - कभी इतना गुस्सा आता है कि
छोड़ दु तुझे तो कभी कभी
इतना प्यार की खो ना दु तुझे।
कभी वो रूठना तेरा कभी वो मनाना मेरा।
थक जाता हूँ कभी कभी तो
कभी उमंग से भर जाता हूँ।
कभी रुला भी देता हूं,
तो कभी रो भी लेता हूँ।
जमाने में बदनाम भी कर देता हूँ कभी - कभी
तो कभी खुद भी बदनाम हो जाता हूँ।
तेरा बार बार फोन करना ,
तो कभी तेरा फोन न करना।
परेशान कर देता है मुझको,
फिर भी बात कर ही लेता हूँ।
कभी कभी मिल लेता हूँ तो
कभी पास होते हुए भी दूर चला जाता हूँ।
कभी कभी तुझे देखने के बहाने ढुंढ़ता हूँ
तो कभी ना देखने के।
फिर भी मोहब्बत तुम से ही करता हूं। Romantic_poetry

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें