New_Year
नया साल ना जानेकितनी ही बार आता है
और चला जाता है।
सबको फिकर है अपनी- अपनी
इस एक साल में न जाने
कितने ही अरमान बने और बिखरे,
किसी ने तरक्की की,
तो कोई वहीं का वहीं
कुछ नाम कमा गए
तो कुछ नाम मिटा गए
किसी ने ठहराव कर लिया
तो कोई काफिर बन गया
किसी का दिल टूटा
तो किसी को प्यार मिला
न जाने कितने ही किस्से
इस साल के काग़ज में भर दिए
और एक नया काग़ज लेकर
हाज़िर है सभी लिखने को अपनी दास्तां
कुछ सपने जो देखे हैं
शायद पूरा हो जाएं इस साल में
कुछ तस्वीर जो बना रखी है
शायद रंग भर पाएं इस साल में
वो शहर जो धुंधला सा है
शायद उजाला हो जाएं इस साल में
दिलों की नाराजगी
शायद दूर हो जाएं इस साल में
कहीं किसी को खुदा भी
मिल जाएं इस साल में
खुशी का माहौल है
तो उदासी क्यूं
कुछ हो ना जिंदगी में
पर बेतहाशा जी जाएं हम
इस साल में


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