तलब ऎसी की कोसो दूर चले जाए
चाय पीने को यूं घर से हम निकल जाए
औरों के लिए एक कप चाय ही तो है
मगर हमारे लिए जीने की एक आस है
अधूरी बातें भी आराम नहीं देती कभी
दिल करता है अभी सारी बातें कर लु
मगर इन्तज़ार भी अच्छा है
ताकि दिल की कसक बढ़ती रहे
आज किसी अजनबी से बात की
अच्छा लगा
मगर बातें अधूरी रह गयी
मौसम रोज बदलता है मेरे शहर में
तुम्हारे आशिकों की तरह,
तुम जो कर रहे हो वो करके
छोड़ दिया जमाने में।
सब उलझे हुए हैं
किसी ना किसी सवालो में
मगर साथ रहकर
कोई हल नहीं करना चाहता
तारीख देते हैं रोज वो हमको
बात करने के लिए
जैसे कोई मुजरिम हो गये हम...
तेरी आदत आज भी वही है
किसी और से प्यार करना
और साबित किसी और को करना
जवाब देना मुस्किल हो गया उसका
जब किसी और का sms
forward करने से पहले
नीचे लिखा नाम मिटाना भूल गया
जब भी उस बेवफा सनम की याद आती है,
एक ख़त उसका जला लेता हूँ।
ताकि उसकी चिंगारी से दिल में,
आग सुलगती रहे।
वो मासूका के प्यार भरे ख़त,
जिनको छूपातें फिरते थे सब से।
आज खुद ही दिखा रहे हैं,
उसके चले जाने के बाद।
हादसे बहुत हो जाते हैं
जिंदगी में अक्सर
मगर मोहब्बत का हादसा



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