Mera Armaan....
वो बेजान सी एक मुरत थी , जब मिली थी पहले पहल,
हसना सिखाया इस भीड़ में उसको,
कातिल नज़रो से बचना सिखाया उसको,
हुस्न की नज़ाकत सिखायी जो बेमिसाल थी,
वक़्त से एक एक लम्हा चुराकर उसको बनाया बड़ी फुरसत से,
दुनिया की नज़रों में सिर उठाकर जीना सिखाया,
हर एक अनजान से मिलना सिखाया उसको, बारीकियों से उसकी हर कमी को नक्काशा हमने,
बेमिसाल रंगो से सजावट कि उसकी ताकि वो एक नूर कि तरह दिखे,
फूलो से, बारिश से, घटाओ से, इस खूबसूरत कायनात से मोहब्बत करना सिखाया उसको,
ऎसी अदाओं से उबार दिया उसको कि किसी को देखने भर से फिदा हो जाए उस पे,
आज जमाना उनको बड़े अदब से देखकर कहता है , कि क्या लगता है,,
किस्से उन्ही के हर कोने में, हम भी देखकर धोखा खा जाते हैं,
मगर अफसोस.................. 🤔🤔🤔🤔🤔
इतने अरमानों से सजाए थे सपने उनके ,
वक़्त का कतरा कतरा निकालकर उनको बनाया था सबसे जुदा खुद के लिए,
और वो....चले गये.... हमारे सपनो को खाक में मिलाकर
खुशी खुशी किसी गैर के साथ....... एक बार भी नहीं देखा हमारी तरफ,

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