Mere desh ke naam khat
देश कहूं, मुल्क कहूं या कहूं वतन तुझे,
परिवार कहूं , माँ कहूं, या कहूं जान तुझे,
ना तू जुदा है इंसान से,
ना इंसान जुदा है तुझ से l
है नाम माटी मगर माटी हैं सबका तोहफा
मेरे देश की माटी मे ही लिखा है इत्लाफ़ होना l
हो जाऊं निसार फक्र हैं मुझे
हो जाऊं खाक गर्व हैं मुझे l
सीने में दर्द है बहुत , वतन के ख़ातिर दुश्मनों को दे आऊ l
ना कभी हारूँगा, पीछे हटाऊंगा, जान हथेली पर लेकर चलता जाऊंगा l
हारकर भी जीत का जशन मनाऊंगा, ताकि खुद को कर बुलंद गिर्दाब लाऊंगा l
अपना सिर झुकाकर भी तेरा वजूद बनाये रखूँगा l
वतन के ख़ातिर मरकर भी अमर कहलाऊंगा l
कर देना हुक्म ए माटी,
अपने खून के रंग से रंग जाऊंगा l
जब आएगी होली तो अपने लहू के लाल रंग से रंग लगाऊंगा तुझे l
नहीं है मेरा कोई तेरे सिवा,
ए - मेरे - वतन, ए - मेरे - वतन l
मेरी सुबह तुम से, रात भी तुम्हीं से, दिन का हर पहर तुम से l
सुकून मिलता है, मुझे तेरी सोहबत में,
आरजू है मुझे तेरी मोहब्बत मे l
करूंगा मोहब्बत तुमसे ए वतन,
तभी मनाउंगा जश्न - ए - चमन l
आया जब से तेरे महकमें में, तो जाना
ना धर्म है, ना जात कहींं,
बस अपना है हर कोई l
है दिल में कि मै भी शहीद कहलाऊं,
उस से पहले मगर किसी को नश्त- ए_ नाबुत तो कर जाऊं l
कैसे भुला सकता हू देश का कर्ज, जो मुझ पर उधार है l
चुकाने आ रहा हू, लिए दिल में मोहब्बत के नज़रानें l
अपने प्राणों की बनाकर वेदी,
सुख दुख की आहुति अर्पण करूँगा l
तभी तो मे माँ का लाल कहलाऊंगा, l
होगी नहीं लज्जा मेरी माँ को भी,
कि उसका बेटा तिरंगे में आया है l
गर्व से सीना तानकर कहेंगी, देश का बेटा आया है l
है ये तो एक ही लाल मेरा,
सौ होते तो भी कर देती कुर्बान,




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