Alfaz.....
क्यू ना में हर सुबह को वैसे ही देखूं
जैसे पहले देखा करता था।
क्यूं ना मोसम का हाल वैसे ही पूछूं,
जैसे में पहले पूछा करता था।
क्यूं ना मे बेवजह बातों पर हंसू
जैसे में पहले हंसा करता था ।
क्यू ना में यू ही मोज करूं,
जैसे में पहले किया करता था l
क्यू ना में हर त्योहार का वैसे ही इंतज़ार करू,
जैसे में पहले किया करता था l
क्यू ना वैसे ही जीऊं,
जैसे पहले जिया करता था l
क्यू ना में वैसे ही रहूँ
जैसे पहले रहा करता था ।
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