सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Gazal

chodo ab in sab bato ko,
jo ab ek fasana banne ja rhi h l🤔🤔

waqt h abhi kuch husan ko aagosh me lane ka ...l💕💕

jinke khyalo me khoye ho aap... ,tumhara jo hamsafr h ,hame gavara nahi h l

jab soye honge wo apne kamre me.. hokar nasat _ e_nabaut se ,

 hazir ho wahi ham bhi didar _e_aalam ka lutf utahyenge l

jawab talab kab tak krenge,aakhiri padav h ab to is safar ka l

jo mukmaal ho jaye samet lo apni takdir ka..l

ham unke kabil nahi,ya wo hamre kabil nahi
 kahana muakil h jra....
socha to paya sab waqt का hi sarab  h l
😊😊😊😊😊

                            Govn...... 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Wo tuta makan..

    Wo tuta makan ... जमाना बदला, तू बदला, मे बदला,  मगर वो गलियां ना बदली,  जहां कभी रोशन होते थे आशिकों के ख्वाब.... वो टूटा टूटा सा, बारीश के पानी से झरता हुआ , मकान आज भी जिंदा है, इन हालातों में... उसको देखने भर से वो यादे जहांन मे बिखर जाती है आज भी..  जहां पर छुप छुप कर मिलने आता था आशिकों का सैलाब ।  यही पर हासिल होते थे प्यार के नज़राने, जिसकी एक छवि उस मकान ने अपने सीने में दबा रखी है।  जब भी कोई वापस आता होगा तो देखकर मुस्कुराता होगा। और खो जाता होगा अपने अतीत के सागर में,...  जो अब कुछ धूंधला - धूंधला सा नजर आता होगा । और आ भी जाए तो किसी और के डर से याद नहीं करना चाहता । बस देख कर ही रह जाते हैं सब......    । अब वो मकान सुना - सुना सा है,  इंतज़ार में है ,कि गिरने से पहले फिर से कोई आए  और मोहब्बत का चिराग जला जाये । 

Dr. Ambedkar, Ambedkar speech, Dr. Ambedkar shayari, Ambedkar poem,

  जो ना रुका कभी, जो ना झुका कभी  मन में प्रण लेकर देश बदलने चला था कभी। खुद की ना कोई पहचान, धूल में सना एक दलित इंसान महसूस कर देश की पीड़ा, सर पर बांध जुनून का सेहरा।  चलता गया, बढ़ता गया, कर लक्ष्य संधान छुआछूत जातिवाद से बदतर था जब समाज। मुक्त कर सभी आडम्बर को बनाया एक खुशहाल इंसान राजनेता, शिल्पकार, समाज-सुधारक बनकर।  दिला गया देश को एक अलग पहचान संविधान निर्माता बनकर भारत रत्न सम्मान है पाया। गुलामी से जकडे़ लोगों को आजादी का जश्न दिलाया नाम है जिनका बाबा साहब, जिनका परचम राष्ट्र में लहराया।  यूं तो कई सदियों में एक ऐसे  महानायक का जन्म होता है जिसकी छवि को युगों युगों तक याद किया जाता है।  उनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता का कल्याण किया जाता है।  ऐसे ही महापुरुष बाबा साहब, जिनका स्मरण आज हम आदर के साथ कर रहे हैं।  उनके जैसा तो आज हम बन नहीं सकते।  मगर कोशिश करे कि उनके विचारों के माध्यम से मानव द्वारा मानवता का कल्याण हो,  बाबा साहब ही एक मात्र ऐसे इंसान थे जिन्होंने युगों से शापित मनुष्यों को वरदान मे बदल दिया,  जिन्होंने...

कुछ शेर

जब उसका फोन आया सुबह जब जाने की तैयारी थी एक आवाज फोन की आयी थी  नम्बर था कुछ जाना पहचाना मगर याद ना आया ख़्याल आया कहीं वो तो नहीं जिसके बारे में सोच रहा में कल फोन उठाया और आवाज सुनकर मुस्कुराया  ये वही था जिसका मुझे इंतज़ार था कुछ बाते हुई खास हम दोनों के साथ  जाने कौन सी खुशी मिली  जो हुई अच्छे दिन की शुरुआत  ,,,,,     ,,,,,,,,,,,, ______________***********                  शाम हो गई  किसी को घर जाने की जल्दी, तो किसी को मिलने की बेकरारी, कोई महफ़िल में जाने को बेकरार, तो कोई कर रहा तन्हा किसी का इंतज़ार, मगर में अब भी उसी जगह पर बैठा सोच रहा हूँ, कि कहा जाऊं, कौन है, जो मेरा इंतज़ार करेगा, बस इसी सोच में सुबह से शाम और शाम से रात गुज़ार रहा हूँ             समझौता करना कई बार रिश्तों को जिताने के लिए, ख़ुद को सामझोंता करना ही पड़ता है,  मगर जो कुछ भी करते हैं वही तो जीत का आगाज कहलाता है, इन हालातों को खुशी से स्वीकार कर, द...

Talash

     Story....               **Talash ** आज सुबह से तेज बारिश हो रही थी, सब लोग अपने अपने घरो में बेठे आराम फरमा रहे थे।  कुछ लोग घर के बाहर बैठकर आते जाते हुए लोगो को देख रहे थे, और बीच बीच में कह रहे थे, देखकर चलना, संभलकर चलना, पानी बहुत भरा हुआ है ।  में भी अपने घर की बालकनी में खड़े होकर सड़क पर झांक रहा था, चारों तरफ पानी इतना भर गया कि पता ही नहीं चल रहा रास्ता कहा है।  अचानक मेरी नज़र दूर से आती हुयी एक फैमिली पर पड़ी, बारिश की वजह से साफ तो नही दिख रहा था, लेकिन चार लोग हाथ में सामान लिए चले आ रहे थे।  मे अब उनको ही देख रहा था, कि वो लोग इतने पानी में सामान के साथ कैसे जाएंगे।  कभी उनके कदम लड़खड़ाते, तो कभी अपने सामान को संभालते नज़र आते । धीरे - धीरे वो इतने पास आ गये कि मे स्पष्ट रूप से देख सकता था, उनको ।  जब दिखाई दिया तो पाया कि एक परिवार जिसमे पति पत्नी और दो लड़कियां ।  एक की उम्र मेरी जितनी थी शायद, एक उस से छोटी। उस लड़की को पास से देखा, तो द...

Alfaz /अल्फाज़

Alfaz..  कोई मुझे मजार कहे , कोई कहे खुदा कोई कहे पत्थर तो कोई कहे देवता  l मगर मे खुद भूल चुका कि मे कोन हू  l मे एक मिट्ठी का पुतला था, जिसमे एक रूह बस्ती थी, जब उसने साथ छोड़ दिया, तो सभी ने साथ छोड़ दिया l  दूर हो गए सब मुझ से , ये कहकर कि ये तो एक लाश/मुर्दा है, l लाकर दफन कर दिया मुझे इस माटी की गोद में, जहा मेरे सारे सपने चूर चूर हो गए l जो मुझे अपना अपना कहकर थकते नहीं थे, उन्ही लोगो ने मिट्ठी की तह में छुपा दिया मुझे l चले गए सब मुझे अकेला छोड़कर उस सुनसान कब्र में जहा मेरे शरीर का कण कण होने को हैं l मे भी कितने सुकून से सोया वहां पर, जहा न कोई अपना न कोई पराया, ना डर ना चिंता, ना सुख ना दुख l  मेरी रूह भी अब तो..... किसी और का अस्तित्व बनाने को मशरूफ थी

Suno na...

सुनो ना थोड़ा रुक जाओ ना मेरे लिए , मे थक चुका हूं बहुत, तुम साथ दो तो तुम्हारी सोहबत में चल सकता हू । तुम साथ रहोगे तो हिम्मत रहेगी मुझ में भी, वरना थक कर बैठ जाऊंगा मे यही कही । सुनो ना एक पल हाथ तो बढाओं ना मेरी तरफ, मुझे भी साथ ले लो ना । सफर ये मिलो का है, बाते करते करते तय कर लेंगे, कुछ तुम कहना, कुछ मे कहूंगा। जब कोई एक थक जायेगा तो दूसरा चलने को मजबूर करेगा, जब दोनों थक जाएंगे तो किसी छांव का सहारा ले, चाय की चुस्कियों के साथ इच्छाएं जाहिर केरेंगे अपनी, सुनो ना ..थोड़ा रुक जाओ ना मेरे लिए.... ***********, *, **,,,,, *************,,,,,, ******* तु बेबाक सा यू साँसों में शामिल हैं, महक अभी भी तेरी, रूह में शामिल हैं । यू तो महक जाता हूँ हर घड़ी, तेरे इंतज़ार में, मगर शामिल होने को तरस जाता हूँ। तु अश्क  निगाहों से बह बह कर निकल रहा है, वक्त गुज़र गया इतना फिर भी तु रगो मे बह रहा है । अब तो ले जा तेरी यादे, जो मे जी सकूं तेरे बिन । वरना रोज थोड़ा थोड़ा मर रहा हूं  ।

Dil - e- nadan....

                Dil- e - nadan....               भूल जा ए- दिल उन बातो को जो बड़ी तकलीफ देती है l भुला भी दे अब तो उस शख्स को, जिसने अशूफ्ता कर दिया तुझे...... 😇😇😇 शायद उसकी दिल्लगी अब्तर थी तेरे लिए l क्यू जला रहा  है अपने दिल को उसकी यादो में ,  तन्हा सा कर लिया उसके ख्यालातों से l वक़्त भी काफी गुज़र चुका अब तो उसको गये हुये, फिर भी उसका ही ख्याल क्यूं रहता है तुझे तू जिसके लिए इतना तड़प रहा है ए दिल.... वो शख्स बेवफा निकला इतना कि जाते जाते भी रुला कर चला गया l परवाह होती गर उसको तेरी, तो किसी और का सरमाया ना बनता l बन भी जाता अगर किसी और का तो कोई तकलीफ नही थी मगर किसी का होने से पहले ही ठुकरा दिया खिलौना समझकर l याद है ना , ए मेरे दिल... तूझको , वो कहते थे कि हम कभी जुदा ना होंगे, अगर हो भी गए जुदा लेकिन प्यार तुम्हारे लिए वही रहेगा l मगर वो सिर्फ बाते थी सिर्फ बाते........ दिल बहलाने के लिए l समझता क्यू नही ए - दिल - ...

Safar....

Safar........  दुनिया कि इस भीड़ में न जाने कितने अजूबे हैै l एक तो हम हैं, बाकी सारी कायनात हैं  ll यूं तो चलने का मन नहीं करता, मगर अनजानी राहे , भीड़ में ही मिला करती है l     जीने का सलीका यहीं से मुकम्मल हो जाता है l अगर सफर ना होता मिलो का, तो मे न चलता l और बन जाता हिस्सा उसी भीड़ का l वो भीड़ जो नहीं देखती कभी किसी को,  आजमाईश का दौर है..........  जिसमे मयस्सर भी चुरा लिये जाते हैं  निकल भीड़ से इन्तिका  ढूँढू कहीं,,,  जहां बस मेरा ही इख्तियार हो l  😊 😊 😊 😊 

Pyar ki bate...

          Pyar ki bate....      💕 हमारी चस्मक के कारण, बहुत किस्से बनाये उसने , मगर आज उनकी चस्मक के कारण हर मोहल्ले में शोर है l आज सुबह से तेज बारिश के कारण, सभी ने दरवाजे बंद कर लिये सिर्फ मे और वो मौका देखकर निकल लिये😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀 उनके रुकसार पर शबनम की  बूंदे ही अच्छी लगती है वरना आंसु तो हर वक्त तैयार रहते हैं, पिघलाने को  l मोहब्बत करों मगर हद से ज्यादा नहीं दुबारा भी तो दिल लगाना है फिर किसी से  l मोहब्बत एक बार नहीं बार बार करो  एक से गम लो, दूसरो को गम दो तभी तो होगा बराबर हिसाब  l मोहब्बत संभल कर करना यारो दिल तोड़ने की फितरत सी हो गई हैं l जब तक कोई नहीं आता जिंदगी में तब तक जरूरत होती है कोई आने के बाद रुकसत हो जाते हैं  l जब थी जरूरत तो मोहब्बत का नाम लेकर अपना बना लिया आज वो जगह किसी और ने ली तो पराया बना डाला  l गलतियां वो करते हैं  और सुनना हमको पड़ता है आज किस्सा ही खत्म कर दिया  सुनने सुन...

महफिल अब वो कहां.....

महफिल अब वों कहां......  लूप्त सी हो गई अब तो शायरों की महफ़िल आज के दोर मे l कौन लिखे, जब कोई पढनें को नहीं है मुसाफिर l सब तो लगे हुये हैं एक दूसरे को गिराने में, वक़्त किसके पास  है, डिजिटल युग में अल्फाज़ों को सीखने का l कॉपी पेस्ट का जमाना है, कातिबों  का नहीं l अगर मैं कहू कि मै खुद भी हूं इनमे शामिल, तो फर्क कहां पड़ता है, जमाना जब बदल रहा है तो इंसान को बदलने मे क्या हर्ज़ l हरकतें कर लेता हू मे भी थोड़ी बहुत, दोनों जमानो को मिलाकर, पर जल्दी ही संभल जाता हूं 😊😊😊