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Gazal

ham tumhari mohabat m kya se kya ho gye l

badlna chaha khud ko,lekin tum hi badal gye l

itni duaa ki tumhari khatir,mandir masjit me jakar
l
sab kabul hui magar,tumhari duaa kiske liye kabul hui,l

ham sari umar apna khate khate na thake,magar tumne to paraya bhi na kha  l

tumhare labo pe muskurahat ke liye,apna nuksan krte rhe  l

kabhi kisi aur ka na hone diya khud ko tumhare liye l

parwaah rhati thi har waqt jiski muje,
wo  kisi aur ki parwaah karne lage,,,.....
,

                       Govn..... 😀 😀 😀 

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Wo tuta makan..

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Dr. Ambedkar, Ambedkar speech, Dr. Ambedkar shayari, Ambedkar poem,

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