Sab acha lagtha h....
ना दर्द होता है, ना बुरा लगता है l
जो हो रहा है सब अच्छा लगता है l
पहले दिखती थी, सब मे कितनी कमियां
जो मिलता है अब अच्छा लगता है l
मेने भी छुड़ा लिया जमाने से हाथ,
ज़्यादा दिन कोई कब अच्छा लगता है l
दिल तू सब से मिल के भी खुश नहीं,
अकेले रहना मतलब अच्छा लगता है l
है नहीं कोई मुकम्मल मंजिल,
फिर भी मिलों का सफर अच्छा लगता है ।
गुनाह नहीं है, मेरा कोई,
फिर भी गुनहगार होना अच्छा लगता है l
चलते चलते थककर रुक जाता हू,
फिर भी चलना अच्छा लगता है l
नहीं है दिल में कोई आरजू,
फिर भी चलना अच्छा लगता है
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