Sukun nhi kahi bhi....
कौन कहता है गुलाम नहीं कोई इस जहां में।
नाम नहीं रहा गुलामी का, मगर हर शख्स गुलाम है।
कोई मुलाजिम है, तो कोई एम्पलॉय है, तो कोई खिदमत करता है।
बन कर रह गए एक असीर।
अंग्रेज चले गए मगर अंग्रेजी का तोहफा दे गये, 😊 😊
बच्चे भी अब तो अपनी भाषा से दरकिनार कर गये l
दुनिया के जज्ब मे भ्रमित सा हो गए सब।
मालिक हो गए अपनी मर्ज़ी के, लेकिन वो बात नहीं।
भाग रहे हैं एक दूसरे से बगावत कर वजूद कायम करने को।
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