Gam nahi koi....
चला जाये गर तू कहीं और तो
मुझे गम ना हो अफसोस ना हो l
गैरो की आदत सी है तुम में भी.....
बात नहीं वो... पास आए तो l
होगा ना मुमकिन अब ये दुबारा
कोई नहीं... जो मेरे साथ हो l
तुम्हारी तो फितरत है दिल लगा के तोड़ने की
आज से नहीं पहले से ही......
मौका देकर इंतज़ार किया सम्भलने का
पर तू समझा ही नहीं ।
बेकार हुई कोशिशें सारी मेरी
तुझे समझाने मे, ।
था तो रिस्ता दिलो का ही, मगर नाम कुछ और रख दिया ।
माना दोलत नहीं है मेरे पास मगर मोहब्बत की शोहरत तो है बेमिसाल, ।
अफसोस नहीं है कि तू चला गया, खुशी है कि मुझे सिखा गया,।
अब अफसोस तुझे जरूर होगा, आज न सही, कल ही सही,
इंतकाम भी तो देखना है फिर तुझे मेरे मुकाम का, ।
बाते तेरी सब याद है मुझे, हर एक जख्म का हिसाब तो भी तो देना है फिर तुझे,
बात तुमने शुरू, पर ख़त्म मुझे ही करना है।
हर एक अश्क का तोहफा तुझे देना है ।
खुशी जितनी दी तुमको.... गम भी उतना देना है
याद रखना नाम मेरा अपने लबों पे..


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