Meri Shayari....
वो कहते थे जान दे देंगे तुम्हारी खातिर
पर कम्बख्त ने जान ले ली
किसी और को गले लगा कर ।
वो भी क्या अदाएं थी उनकी
नज़रें हमारी तरफ,
बाते किसी और से ।
मिलने आया मुझको
तोहफा किसी और को दे गया ।
आज उस मोहब्बत की दहलीज को
लांघ गया में
जिसने मुझे कब से कैद कर रखा था
बहाना चाहिए था उसको दूर होने का
एक दिन गलती क्या कर दी
मौका मिल गया का दुर जाने का ।
सोचता हूँ कि उसको वापस मना लू
मगर क्या फायदा
वो वापस रूठ जाएगी ।
उसको गए अर्शा बित गया
मगर समझ नहीं आता
जब मोहब्बत की थी उस से
तब वो सही थे
मगर हमने ही मोहब्बत के हसीन सपने दिखाकर
बिगाड़ दिया उसको ।
आज तो उसकी मेहरबानी की
हद ही हो गई
जब उसने अपने नज़रानो का
हिसाब ही मांग लियाा ।
कदर नहीं रही
अब उनको मेरी
शायद कोई नया चेहरा
सामने आ गया


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