Mohabat ki tadap...
मोहब्बत की तड़प तुम क्या जानो, कभी आना हमारी चौखट पे ।
बताएंगे तुमको फुर्सत से मोहब्बत के वो किस्से, जो तुम ने नहीं सुने होंगे कभी ।
बैठना कुछ पल हमारे साथ, उन लम्हों की सेर पर ले चलेंगे तुमको,
जहां रास्ता तो है जाने का, मगर आने को तरस जाओगे तुम।
पहले पहल के सफर में तुमको मजा आएगा बहुत,
फिर आगे चल कर पांव तुम्हारे थम जाएंगे,
कलम रुक जाएगी तुम्हारी लिखने को आगे की दास्तान ।
अश्क निगाहों से जब बारिश की तरह टपकने लगेंगे तुम्हारी ,
रोक नहीं सकोगे खुद को मुझे गले लगाने से ।
आना तुम कभी वक़्त निकालकर हमारी चौखट पर,
दिखाएंगे तुम्हें जख्म वो,
जो अब तक रवा है, किसी की बेवफ़ाई से,
एक बार छू कर देख लेना, हाथों मे तुम्हारी छाप छोड़ जाएंगे,
आना तुम दिखाएंगे तुमको वो खून से लतपत कागज के टुकड़े, जिन पर बड़े अरमानों से शब्दो को सजाया करते थे ।
महज कागज नहीं है वो इस दिल कि कि धड़कन है जो जो किसी की खुश्बू से बढ जाया करती थी।
और करीब आओ तो तुमको यादो की उस धूप में ले चलुंगा, जहां तुम छांव को तरस जाओगे ,
डूब जाओगे उस सागर मे जहां पानी की तरह सब कुछ तो है मगर किनारा ढुंढते ढुंढते थक जाओगे
महसूस हो तो कर लेना तुम ,
कि मोहब्बत करने की हद कितनी हो सकती है,
नहीं तो एक हम हैं और एक ये नादान दिल जो टूटकर भी अभी जिंदा है मेरे सीने में,
छुपाये इन आंखों मे कितनी ही बारिशों को, जो बे लगाम होकर बह रही है,
मगर निकलने को तैयार नहीं.....


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