Sukun....
देख कितना खुश हूं मे आज,
जब से तेरा मेरा रिश्ता टूटा, बदल सा गया ।
पहले ना सुकून से सोया कभी तेरी मोहब्बत में,
आज तेरे जाने के बाद सुकून इतना है कि पूछो मत।
पहले बार - बार तेरे लिए खुद को संवारता था फिर भी नहीं देखता था तू ।
आज खुद के लिए संवरा हूं तो बहुत देख रहा तू मुझ को।
तेरी मोहब्बत में इतना बेचैन रहता, फिकर करता तुम्हारी हर पहर।
रोज- रोज खुद को ही जलाता रहता तेरी मोहब्बत मे ।
आज तुझे जलता हुआ देख कितनी ठंडक है दिल मे।
पहले दिक्कत होती बहुत जब किसी और से बाते करती,
अब करो कितनी ही बाते दिन रात किसी से भी नहीं होगी दिक्कत मुझे l
अब चाहे कर तू कितने भी गीले शिकवे, नहीं पिघलूंगा में,
नासमझ नहीं जो ग़लतियाँ दोहराकर, तेरे आगोश में फस जाऊं फिर ।
परिंदा निकल चुका है अब, खुद की उड़ान भरने को,
लोटकर थोड़ी ना आऊंगा ।
जहन्नुम बना दी जिंदगी, तेरी मोहब्बत में
अब जन्नत बनाकर रहूँगा मे l
तेरा कारवां तुझे मुबारक,
तेरा हमनशी,
तेरी शोहरत तुझे ही मुबारक l
चला में तो तेरी बंदिश तोड़कर l



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