Teri sohabat.....
कोन सुने दर्द ए मोहब्बत दिल की
किससे कहे, किसको सुनाऊं फसाने
तू तो चला गया मुझे रुसवा कर के, वादे मोहब्बत के कर के ।
कुछ पलों की खुशी देकर गमो का सागर मुझे दे गया
तेरी सोहबत में था मेरा हर लम्हा आदिल, ।
तू नही तो हर पल धुंधला
होता तू मुझ से रूबरू,
गर ना करता कोई जलाल ।
तन्हाइयों से टूटकर बिखर चुका में, चाहकर भी ना जुड़ सका मे ।
किस्सा बना फिरता हू जमाने में,
लबों पे मेरे ही किस्से लोगो को
जहां जाता हूँ बस चुप रहता हूँ ।
जीवन की उलझन को अब केसे सुलझाऊं
तन्हा दिल की बातो को केसे बतलाऊ ।
आंखों में ना आंसु है ना लबों पे खुशी
बस खामोशी है चेहरे पर अब
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