हम तुम्हारी मोहब्बत में क्या से क्या हो गए,
बदलना चाहा खुद को, लेकिन तुम ही बदल गए।
इतनी दुआ कि तुम्हारी ख़ातिर,
मंदिर मस्जिद मे जाकर ,
सब कबुल हुयी।
मगर तुम्हारी दुआ किसी और के लिए कबुल हुई l
हम सारी उम्र अपना कहते कहते ना थके,
मगर तुमने तो पराया भी ना कहां।
तुम्हारे लबों पे मुस्कुराहट के लिए ,
अपना नुकसान करते रहे
कभी किसी और का ना होने दिया खुद को, तुम्हारे लिए।
परवाह रहती थी हर वक़्त जिसकी मुझे ,
वो किसी और की परवाह करने लगे।
वक्त बे वक्त बिना सोचे तुम्हारी तकलीफों को अपनाया ,
अंजाम की परवाह किये बिना तुम्हारे साथ तक चले , l
जब कभी रूठा तू तो मनाने दौड़े चले आते,
तुमने बुलाया और हम चले आते।
तुम्हारे लिए किया खुद का ठहराव आज तक
यूं जुबा से आज तक कुछ कह भी ना पाये।
तुम्हारे हर दर्द में मसगुल होकर अपना समझा,
मगर हमारे दर्द को तुने क्यूं न समझा l
तकलीफ होती है बहुत ,जब तू रुसवा होता है
हर बार गलती मान झुक जाता हूं हमेशा l
मगर तुमको एहसास किसी बात का भी नहीं होता।
कभी कभी लगता है ,हम गलत करते है,
लेकिन मोहब्बत मे दिल टूटने से डरते हैं ll
हमने दिल लगाया आपसे मगर तुमने तो दिल बहलाया हमसे l
मोहब्बत का बहाना करके न जाने क्या क्या सितम करवाया l
हमारी जिंदगी में जब किसी ने दस्तक दी थी ,
तब भी हमारी हर कोशिश की ,
तुम से दूर ना हो जाये l
कर गया तुम्हारी मोहब्बत में वो खता़ भी
जो कोई ना करता l
हमारे लिए वक़्त ही नहीं रहा अब,
लगता है जैसे,



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