Mere dil ka saaj...
है चाँद नहीं मेरे दिल का साज हो तुम,
जब जब भी तुझे देखु एक आस हो तुम।
है तुम्हारी भी अदाएं निराली इस जग में,
तुझे देखु तो याद मेरा महबूब आए,
ना देखु तो चैन ना आए।
जब कभी छुप जाता है बादलों की ओट में,
तो मायूश होकर बैठ जाता हूं ।
रात की तन्हाइयों को तेरे संग बिताऊ मे,
सुबह पहले पहल नज़रे तूझी से मिलाऊं में,।
मेरा जो सनम है तेरा ही सरमाया है,
जो रात ढलत्ते ही छोड़ मुझे चला जाता है।
शिकवा तुझ से भी है और उस से भी है,
जो हरदम छुपते छुपाते रहते हो।
मगर चुप रहकर बहुत कुछ कह जाते हो।
चांदनी तुम्हारी है बेशुमार ,
जो जग को रोशन करती है।
कभी कभी तो दिल की गहराइयों में इस कदर जा बैठते हो,
कि सनम को छोड़ तेरा ही दीदार कर लु।
मगर जब ख्याल महबूब का आए दिल में तो,
वो कम्बख्त गले जो लगा लेता है।
मौहब्बत तुम से भी है, उन से भी
तभी तो तन्हाइयों मे कभी वो साथ रहते हैं,
कभी तुम........


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