Kuch nazm
जिंदगी बड़ी हसीन हैं,
रुक कर एहसास तो कर एक मर्तबा ,
चल रहा है कब से अपनी ही धुन मे
सांस तो ले एक पल जरा ,
सब कुछ भूलकर एक बार जी तो जरा
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आज दिवाली थी सोचा उस से बात कर लु एक दफा, मगर अफसोस उसने सोचा ही नहीं,
किसी और के लिए दीवाली का तोहफा सजा रहे थे,
जो हर दिवाली मेरे संग था
आज वो इतना बदल गया कि बात करना भी नहीं चाहता हमसे,
कुछ ना हो सका हमसे....
यू तन्हा सारी रात याद करके उसको
अश्क़ बहा लिये हमने
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जिंदगी महफूज़ रही तो
दुबारा मुलाकात होगी वरना
कब्रिस्तान की दीवारों को दूर से देख लेना
खुशबू हमारी महसूस होगी
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आज तुझे बड़ा गुरूर है, किसी के मिल जाने से,
कि नाता ही तोड़ दिया मुझ से।
मगर अफसोस नहीं......
जब मेरे शब्द खेल.. खेलेंगे.. इस दुनिया में, सुनने को हर कोई मोहताज़ होगा मुझे।
उस वक़्त तुम्हारा हमनशी भी मेरा कदरदान होगा।
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